Motivational Session :: Importance of Aarti
26-Apr- 2023

मिठी गोबिंदराम पब्लिक स्कूल में आयोजित अभिप्रेरणात्मक सत्र - आरती का महत्त्व का आयोजन

बच्चे अभिभावक के व्यक्तित्व का दर्पण हैं - श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी 

परमहंस संत हिरदाराम साहिब जी के आशीर्वाद एवं श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी के मार्गदर्शन में संचालित शहीद हेमू कालाणी एजूकेशनल सोसायटी द्वारा प्रतिष्ठित विद्यालय मिठी गोबिन्दराम पब्लिक स्कूल में विद्यार्थियों के जीवन में आध्यात्मिक रूचि जाग्रत करने हेतु आरती सत्र का आयोजन कक्षा पहली के विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों हेतु किया गया। 
श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि माता-पिता होना सौभाग्य की बात है तथा इसे वरदान में बदलने हेतु आवश्यक है कि संतान संस्कारित, सुशिष्ट एवं आज्ञाकारी हो, इसके लिए प्रत्येक माता-पिता का उत्तरदायित्व है कि वे अपनी संतान को उस परमात्मा के प्रति आस्थावान बनाकर उसे संसार के सभी प्राणियों के प्रति संवेदनशील बनाएँ। उनके चरित्र निर्माण हेतु घर-परिवार में सकारात्मक एवं सुखद वातावरण प्रदान करें। बाल्यावस्था काल की प्रकृति गहन परीक्षण की होती है। बच्चा अपने घर, परिवार एवं समाज में जिन आदतों व्यवहारों को देखते हैं, समझते हैं उसे अपने स्वभाव में उतार लेते है। माता-पिता अपने बच्चों को भविष्य में जिस स्वरूप में पाना चाहते हैं वह उसका आदर्श रूप स्वयं बनें क्योंकि बच्चे अभिभावक के व्यक्तित्व का दर्पण हैं। 
इसी तारतम्य में उन्होंने बच्चों के व्यक्तित्व विकास में माँ की महत्त्वपूर्ण भूमिका को बताते हुए कहा कि बच्चा अपना अधिक से अधिक समय माँ की छत्रछाया में बिताता है। अतः माँ अपने शांत व्यवहार, धैर्यशीलता, संवेदनशीलता आदि गुणों को बडे़ सहज़ तरीके से अपनी संतान में निरूपित कर सकती है। इसी क्रम में उन्होंने पालकों से अपील करते हुए कहा कि वे बच्चों में सद्गुणों को विकसित करने हेतु उनमें नियमित रूप से मूक पशु-पक्षियों को प्रातःकाल में दाना-पानी देने की आदत को पल्लवित करें। बच्चों के साथ हमेशा स्नेहिल व्यवहार कर उन्हें उनकी गलतियों से समय-समय पर अवगत कराते रहें। उन्होंने कहा कि आरती ईश्वर से जोड़ने का सबसे सरल मार्ग है जिसके द्वारा मानव स्वयं के भीतर उस परमसत्ता ईश्वर के गुणों को अनुभव कर सकता है तथा समाज का आदर्श व्यक्तित्व बनकर मानव कल्याण में अपना योगदान दे सकता है।
संस्था के सचिव, श्री ए.सी. साधवानी ने अपने वक्तव्य में कहा कि उत्कृष्ट शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य हेतु उन्हें संस्कार-रोपित शिक्षा प्रदान करना हम अपना संकल्प मानते है। संस्कार ही विद्यार्थियों के व्यक्तित्व की नींव है।  संस्कारित विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करके अपने व्यवहार एवं कुशलता से समाज को नई दिशा देने में सहायक होता है। वह समाज में आदर्श व्यक्ति निर्माण में सहयोग कर समाज के विभिन्न आयामों को सुचारु रूप से संचालित करता है।
विद्यालय के प्राचार्य श्री अजय बहादुर सिंह ने समस्त पालकों का आभार व्यक्त करते हुए अभिप्रेरक सत्र द्वारा अपने बच्चों में सदगुणों को विकसित करने की अपील की।
इसी श्रृंखला में विद्यालय की कोर्डिनेटर श्रीमती मिनी नायर ने बच्चों को अभिप्रेरित करते हुए कहा कि प्रार्थना में बहुत शक्ति है। निर्मल हृद्य से की गई भक्ति को ईश्वर अवश्य सुनता है। प्रातःकाल ईश्वर के समक्ष नतमस्तक होकर नए दिन की शुरूआत के लिए धन्यवाद देते हुए स्वयं एवं घर-परिवार की रक्षा हेतु ईश्वर से प्रार्थना करें। संध्याकाल नियत समय पर प्रार्थना एवं आरती कर ईश्वर से अपना जुड़ाव बनाते हुए अपने मन की बात उनसे साझा करते हुए आभार व्यक्त करें।
कार्यक्रम के अंत में सभी पालकों को आरती की थाली एवं आवश्यक पूजन सामग्री भेंट कर नियमित रूप से ईश्वर की प्रार्थना करने हेतु प्रेरित किया गया।
अभिप्रेरक सत्र का कुशल संचालन विद्यालय शिक्षिका श्रीमती नीतू यादव द्वारा किया गया।
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